सिर्फ़ देपालपुर तहसील में नहीं हैं दागदार, राजस्व अमला,
एक बार इंदौर तहसील की भी जानकारी ले जिम्मेदार।
किसान, आमजनता यहां भी वर्षों तक हो रहे परेशान
सीमांकन, बंटाकण, फील्ड बुक,ऑनलाइन टर्मिम काटने में मुंह मांगी राशि की मांग।
इंदौर।
देपालपुर के किसान करण सिंह को अपनी जान गंवाने के बाद कहीं जाकर न्याय मिला। उक्त किसान की मौत के बाद जिम्मेदार अधिकारी हरकत में आए और तहसीलदार,पटवारी,राजस्व निरीक्षक और रीडर तक नप गए। लेकिन ऐसे देपालपुर जैसे हालात सिर्फ वहीं नहीं है। बल्कि इंदौर और उसके जुड़ी अन्य तहसीलों में भी ऐसे ही हालात हैं। जहां पटवारी,तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक की बिंदास दादागिरी जारी हैं। यूं तो किसी भी हितग्राही को शासन की और से एक माह में उसके प्रकरण के निराकरण के दावे किए जाते हैं। लेकिन सीधे इस नियम के उलट पटवारी, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक संबंधित हितग्राही को महीनों नहीं सालों तक भटकाते रहते हैं। लेकिन उसका सीमांकन, बंटाकण, फील्ड बुक, ऑनलाइन टर्मिम काटने जैसे कामकाज नहीं करते हैं। इधर खुद नियम कायदों से बचने के लिए पटवारी, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक उक्त हितग्राही से समय सीमा होने पर दूसरा आवेदन लगवा देते है। ताकि उक्त राजस्व अमले पर नियमों की आंच नहीं आए।
कल्सनटेंट की भी मिलीभगत प्रति सीमांकन 5 हजार की मांग
फिलहाल पटवारियों की उक्त गैंग का पूरा के पूरा साथ निजी कंसल्टेंट एजेंसी भी दे रही है। बंदर बांट में उक्त सीमांकन करने वाली नियुक्त निजी एजेंसी प्रति सीमांकन अलग से पांच हजार रुपए तक की राशि तय कर रखी हैं। जो हमेशा बढ़ती है,कम नहीं होती हैं।
खुद बचने के लिए हर महीने एक आवेदन
सरकार ने हितग्राही को उसके निराकरण के लिए एक माह तय कर रखा है। लेकिन सौदा तय राशि नहीं मिलने पर पटवारी, तहसीलदार,और राजस्व निरीक्षक हितग्राही से वर्षों तक खुद सुरक्षित रहने के लिए हर महीने एक आवेदन लगवा देते है। ताकि राजस्व अमले से कोई सवाल जवाब नहीं हो। अगर ऐसे मामलों की जांच हो तो अमले की जादूगरी सामने आ जाएगी।